17.4.08

आज ज़माने से हार चूका हूँ मैं,
जीसे करता हूँ प्यार ना पा सका हूँ मैं,
वोह हसीना पास ही थी मेरे,
पर उससे बहुत दूर जा चूका हूँ मैं!!
अब थो ये जीदगी उसके बीन गुज़रना पड़ेगा
अकेले ही मरना पड़ेगा !!

1 comment:

Unknown said...

Please do not steal the poem. It has been written by me. Please remove it from your blog. This is my poem.